सवा साल पहले लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के पहले अपर कलेक्टर बने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सरकार की अनदेखी के कारण संयुक्त कलेक्टर की नौकरी करने को मजबूर हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने तीस अधिकारियों को अपर कलेक्टर बनने का आदेश जारी करने के बाद दो तीन अधिकारियों को छोड़ किसी अन्य अपर कलेक्टर की नवीन पदस्थापना नहीं की है।
इस कारण ये अधिकारी अपने पुराने जिलों में ही मार्च 2024 से अब तक जॉइंट कलेक्टर के बजाय अपर कलेक्टर का काम करने को मजबूर हैं। अब जबकि तबादलों पर प्रतिबंध हटा है तो ये अधिकारी अपनी नवीन पदस्थापना का इंतजार कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के पहले हुए थे आदेश
राज्य प्रशासनिक सेवा के संयुक्त कलेक्टर स्तर के अधिकारियों को अपर कलेक्टर के पद पर प्रमोट करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने सवा साल पहले 8 मार्च को आदेश जारी किए थे। लोकसभा चुनाव के लिए 16 मार्च से लागू हुई चुनाव आचार संहिता के पहले जारी इस आदेश के बाद संयुक्त कलेक्टर बने अफसरों को उम्मीद थी कि चुनाव होने के बाद उन्हें अपर कलेक्टर के पद पर जिलों में पदस्थापना मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका है और एक दो अफसरों को छोड़ बाकी को अपर कलेक्टर की जिम्मेदारी पाने का इंतजार है। वे पुराने पदस्थापना वाले जिलों में अपर कलेक्टर बनने के बाद भी संयुक्त कलेक्टर का काम करने को मजबूर हैं। यह बात भी सामने आई है कि कई जिलों में अपर कलेक्टर के पद रिक्त हैं और एडिशनल चार्ज देकर काम कराया जा रहा है लेकिन सरकार इन पदों की योग्यता रखने वाले अधिकारी पदस्थ नहीं कर रही है।
प्रकाश नायक ही बन पाए अपर कलेक्टर राज्य प्रशासनिक सेवा के जिन अफसरों को सरकार ने प्रमोट कर अपर कलेक्टर का वेतनमान देना शुरू किया था उसमें से प्रकाश नायक ही अपर कलेक्टर बन पाए हैं जो इस समय भोपाल में हैं। इसके अलावा वरुण अवस्थी नगर निगम भोपाल में अपर कमिश्नर हैं जो संयुक्त कलेक्टर और अपर कलेक्टर दोनों स्तर के अफसरों के लिए है। पूर्व सीएम शिवराज के ओएसडी रहे भूपेंद्र परस्ते को मंत्रालय में उपसचिव और आदित्य शर्मा को भी उपसचिव बना दिया है। इस तरह दो दर्जन से अधिक अधिकारी अपर कलेक्टर बनने के बाद भी जाइंट कलेक्टर या उसके समकक्ष पद पर काम कर रहे हैं।