मां के हाथ की मिठाई और सूखे मेवों से भरा एक पार्सल दीवाली पर अपने बेटे के लिए स्पेन भेजा गया, लेकिन डिलीवरी नहीं हुई। इससे परिवार को भावनात्मक नुकसान के साथ फाइनेंशियली तौर पर भी नुकसान हुआ। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, भोपाल बेंच-2 ने डीटीडीसी एक्सप्रेस लिमिटेड और फेडरल एक्सप्रेस ट्रांसपोर्टेशन एंड सप्लाई चेन सर्विसेज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को दोषी माना।
आयोग ने पाया कि स्पेन में खानपान सामग्री पर प्रतिबंध के बावजूद डीटीडीसी के कर्मचारियों ने भोपाल में पार्सल पैक किया और फिर डिलीवरी नहीं कर पाए। दोनों कंपनियों से 7,750 रुपए (7% साधारण वार्षिक ब्याज सहित), शारीरिक-मानसिक क्षति के लिए 10,000 रुपए और परिवाद व्यय के रूप में 5,000 रुपए, कुल मिलाकर करीब 21,000 रुपए अदा करने का आदेश दिया।
यह फैसला आयोग की बेंच क्रमांक 2 की अध्यक्ष गिरीबाला सिंह व सदस्य प्रीति मुद्गल ने सुनाया।
दिवाली पर बेटे के लिए भोपाल से स्पेन भेजा था पार्सल भोपाल के होशंगाबाद रोड, सुरेंद्र गार्डन्स निवासी और पूर्व वन बल प्रमुख (HOF) व प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) रवि श्रीवास्तव ने 16 दिसंबर 2019 को परिवाद दर्ज किया। उन्होंने बताया कि बेटा एमबीए करने स्पेन गया है। दिवाली के अवसर पर बेटे को भोपाल से 4 किलोग्राम का पार्सल भेजा था। इसमें मां के हाथ की बनी मिठाई और जल्दी खराब न होने वाले खाद्य पदार्थ थे, जिनकी कीमत 4,000 रुपए थी।
पार्सल डीटीडीसी के भोपाल कार्यालय (10 नंबर मार्केट) से बुक हुआ, जहां उनके कर्मचारियों ने पैकिंग की। 2 नवंबर 2019 तक डिलीवरी नहीं हुई। काफी दिनों तक वह बेटे तक नहीं पहुंचा। बाद में पता चला कि पार्सल वापस लौट आया है। अगर सामान प्रतिबंधित था, तो बुकिंग के समय बता देना चाहिए था। कई बार आवेदन दिया, कोई रिस्पॉन्स नहीं आया। काफी समय बाद आयोग में केस लगाया, जिससे हमें सफलता मिली।
डीटीडीसी ने कहा- समय पर डिलीवरी के लिए प्रतिबद्ध हैं डीटीडीसी एक्सप्रेस लिमिटेड ने आयोग के समक्ष दलील दी कि वे ग्राहकों की संतुष्टि और समय पर डिलीवरी के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि पार्सल में ऐसी खानपान सामग्री होगी जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं भेजी जा सकती या स्पेन में सख्त सीमा शुल्क नियमों के कारण इसे रोका गया होगा। डीटीडीसी ने दावा किया कि भोपाल कार्यालय से पार्सल को प्रारंभिक रूप से संसाधित कर आगे भेजा गया था।