निवेश के मामले में आमने-सामने आते ‘मोहन‘ और ‘उमंग‘
Updated on
25-05-2025 10:49 AM
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जब से मध्यप्रदेश की कमान संभाली है तब से वे औद्योगिक विकास पर और अधिक ध्यान दे रहे हैं ताकि प्रदेश में औद्योगीकरण को पंख लग सकें। इसकी एक विशेषता यह है कि मुख्यमंत्री का ध्यान पहले से विकसित महानगर की शक्ल लेते शहरों के साथ ही उन जगहों पर भी ध्यान देना है जो अभी औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं। इसका एक अर्थ यह है कि औद्योगीकरण का प्रकाश उन अंचलों तक भी फैलाना है जहां अब इसकी अधिक जरुरत है। इसलिए बड़े-बड़े महानगरों से उन अंचलों व जिलों को भी जोड़ा जा रहा है जहां आधारभूत संरचना को मजबूत करना है। शहरों व कस्बों में जो इसमें आयेंगे वहां पहले मजबूत ढांचागत सुविधाएं बढ़ाने की योजना है। राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का आरोप है कि निवेश प्रस्ताव सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं। इसका तीखे अंदाज में उत्तर देते हुए सहकारिता, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि नकारात्मक बातें करना कांग्रेस नेताओं की आदत में शुमार हो गया है।
मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं और डॉ. यादव इसके लिए अथक मेहनत भी कर रहे हैं। कर्नाटक में उनके दौरे और ‘इनवेस्ट इन एमपी‘ को लेकर उमंग सिंघार का आरोप है कि 7 हजार 935 करोड़ के निवेश और 18 हजार 975 नौकरियों का वादा किया गया है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। व्यंग्योक्ति करते हुए उमंग ने यहां तक कहा कि यह निवेश सम्मेलन वैसा ही है जैसे कि शादी के कार्ड बांटे जायें और दूल्हा-दुल्हन का पता ही न हो। उनका यहां तक कहना था कि ग्लोबल इनवेस्टर समिट सिर्फ वायदों का मेला है। इस प्रकार उन्होंने इनवेस्टर समिट 2025 को लेकर सरकार की घेराबंदी की है। उनका कहना था कि अभी तक इसमें भारी भरकम निवेश प्रस्तावों की घोषणा हुई है लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि कितने प्रस्ताव धरातल पर उतरे हैं। नेता प्रतिपक्ष के बयान पर सारंग का कहना था कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जो प्रयास किए हैं उनका एक सकारात्मक परिणाम भी सामने आया है। चाहे वह रीजनल इनवेस्टर समिट हो या भोपाल में आयोजित ग्लोबल इनवेस्टर समिट हर एक निवेश का जो प्रयास सरकार ने किया है उसके सकारात्मक परिणाम आये हैं। कांग्रेस नेता यह भूल जाते हैं कि उनके किसी बयान से प्रदेश या देश का सम्मान भी प्रभावित होता है।
शिवराज करेंगे पदयात्रा
पांव-पांव वाले भैया और बहनों के भाई तथा लाडली लक्ष्मी योजना को अपने मुख्यमंत्रित्व काल में जमीन पर उतारने वाले केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को अमलीजामा पहनाने के लिए गांव-गांव की पदयात्रा करने वाले हैं। यह यात्रा रविवार 25 मई को सायंकाल 4 बजे से लाड़कुई गांव से प्रारंभ होगी। अपनी यात्रा के दौरान वे युवाओं, महिलाओं, किसानों एवं आम जनता से सीधा संवाद करेंगे। खेतों में पहुंचकर भी वे किसानों से रुबरु होंगे और उन्हें जैविक खेती को बढ़ावा देने तथा कीटनाशक एवं रासायनिक खाद का उपयोग कम करने और नरवाई नहीं जलाने का संकल्प भी दिलायेंगे। यात्रा के दौरान वे चौपालों में भी शामिल होंगे और लाड़ली बहना व लखपति दीदी से संवाद करेंगे। उल्लेखनीय है कि इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की आधी आबादी महिलाओं को भाजपा और एनडीए के पाले में करने के लिए पूरा जोर दे रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान इस मामले में अपनी तरफ से अपने लोकसभा क्षेत्र में पदयात्रा कर जहां वस्तुस्थिति का जायजा लेंगे वहीं दूसरी ओर किस प्रकार से सरकार की योजनाओं का लोग अधिक से अधिक लाभ उठायें यह बतायेंगे।
और यह भी. . .!
आपरेशन सिंदूर भारत की निर्णायक विजय माना जा रहा है क्योंकि रक्षा , वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों की नजर में आपरेशन सिंदूर सामरिक और राजनयिक दृष्टि से भारत की निर्णायक विजय है। सशक्त राजनीतिक नेतृत्व और समृद्ध सैन्य शक्ति से भारत आज न केवल सामरिक रुप से मजबूत हुआ है बल्कि विश्व फलक पर भी प्रभावशाली राष्ट्र के रुप में उभरा है। भारतीय वायुसेना, थल सेना और नौसेना एवं राजनयिक तंत्र की समन्वित रणनीति से सिद्ध कर दिया है कि अब भारत हर चुनौती का जवाब देने में पूरी तरह से सक्षम है। एयर कमोडोर मृगेंद्र सिंह के विचार थे कि वायुसेना ने दुश्मनों के ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। यह केवल एक सैन्य सफलता मात्र नहीं अपितु भारत की वायु प्रतिरक्षा और आक्रमण क्षमता की विश्व को दिखाई यह शानदार झलक थी। ब्रिगेडियर संजय घोष का मानना है कि भारतीय सेना ने संदेश दिया है कि किसी भी प्रकार के आतंकी प्रयास या सीमा पर अतिक्रमण को भारत सहन नहीं करेगा। यह अभियान इस बात का प्रमाण है कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया ही नहीं बल्कि निर्णायक और प्रबल रुप से नेतृत्वकर्ता है। एनएलआईयू की प्रो. डॉ. राका आर्या का कहना था कि आपरेशन सिंदूर भारत की कूटनीतिक परिपक्वता और वैश्विक रणनीतिक समझ का भी प्रमाण है।
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