सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायतों का हल नहीं हो पा रहा है। भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सीधी सहित 9 जिले के सीएमएचओ आम जनता की शिकायतों को सुलझाने में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। सबसे खराब स्थिति राजधानी भोपाल की है, जहां 1420 शिकायतें लंबित रहीं और स्कोर सिर्फ 46.47 रह गया।
ग्वालियर का स्कोर 56.89, जबलपुर का 59.31, रीवा का 56.77, सीधी का 57.96, डिंडोरी का 55.92, बड़वानी का 58.68, आगर मालवा का 56.07 और बुरहानपुर का स्कोर 55.57 रहा। ग्रेडिंग के आधार पर इन जिलों को डी ग्रेड में डाला गया है, यानी सुधार नहीं हुआ तो अफसरों पर कार्रवाई तय है। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने भी इस पर चिंता जाहिर की है। लेवल-3 पर सबसे ज्यादा 10,304 शिकायतें लंबित हैं। लेवल-1 पर 3,436, लेवल-2 पर 1,299 और लेवल-4 पर 1,323 शिकायतें अब तक नहीं निपटीं।
जिला अस्पतालों में डॉक्टर नहीं
हाल ही में सीएम हेल्पलाइन के डैशबोर्ड में कोविड संबंधी शिकायतें भी आना शुरू हो गई है लेकिन सीएमएचओ इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कुछ शिकायतों में जिला अस्पतालों में डॉक्टर न मिलने तो कुछ में कोविड की जांच न होने की शिकायतें भी दर्ज की गई है। सीएम हेल्पलाइन में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी 16,362 शिकायतें अब तक लंबित हैं। इनमें सबसे ज्यादा 7,903 शिकायतें चिकित्सा शिक्षा विभाग की हैं। लोक स्वास्थ्य विभाग की 3,568, जिला अस्पतालों की 2,458, आयुष्मान भारत-निरामयम की 1,121 और फार्मेसी काउंसिल भोपाल से जुड़ी 1,312 शिकायतें अब तक नहीं सुलझी हैं।
भोपाल संभाग में 2960 चिकित्सा शिक्षा विभाग की डिवीजनवार देखें तो सबसे ज्यादा 4,839 शिकायतें भोपाल डिवीजन से हैं। जबलपुर में 2,681, रीवा में 2,523, ग्वालियर में 2,539, सागर में 1,539, इंदौर में 1,196 और उज्जैन में 1,045 शिकायतें लंबित हैं। भोपाल डिवीजन में चिकित्सा शिक्षा विभाग की 2,960, लोक स्वास्थ्य की 1,009, जिला अस्पताल की 392, आयुष्मान भारत की 478 और फार्मेसी काउंसिल की 478 शिकायतें अब तक हल नहीं हुईं। इंदौर डिवीजन में चिकित्सा शिक्षा विभाग की 491, लोक स्वास्थ्य की 97, जिला अस्पताल की 10, आयुष्मान भारत की 137 और फार्मेसी काउंसिल की 10 शिकायतें लंबित हैं। जबलपुर डिवीजन में चिकित्सा शिक्षा विभाग की 1,513, लोक स्वास्थ्य की 555 शिकायतें लंबित हैं।
ग्वालियर डिवीजन में भी शिकायतें अधिक- ग्वालियर डिवीजन में चिकित्सा शिक्षा विभाग की 1,479, लोक स्वास्थ्य की 711, जिला अस्पताल की 172 और आयुष्मान भारत की 177 शिकायतें अब तक हल नहीं हुईं। उज्जैन डिवीजन में चिकित्सा शिक्षा विभाग की 171, लोक स्वास्थ्य की 383, जिला अस्पताल की 366 और आयुष्मान भारत की 125 शिकायतें लंबित हैं।
नगर निगम में 1900 शिकायतें लंबित
नगर निगम में मई में करीब 4 हजार शिकायतें पहुंचीं। इनमें से सिर्फ आधी, यानी 2000 शिकायतों का निवारण संतोषजनक रहा। जबकि 2 हजार से ज्यादा शिकायतें लंबित हैं। पिछली शिकायतों की संख्या जोड़ ली जाए तो 50 दिन से ज्यादा लंबित शिकायतों की संख्या 2 हजार से ज्यादा है। यह स्थिति 23 मई तक की है। सभी विभागों में नगर निगम के खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायतें हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर पुलिस विभाग है। 23 मई की स्थिति में 3704 शिकायतों में से करीब 1800 शिकायतें 50 दिन या उससे ज्यादा दिन से लंबित हैं। राजस्व विभाग की 1400 शिकायतें हैं और यह तीसरे नंबर पर है और ऊर्जा विभाग एक हजार शिकायतों के साथ चौथे नंबर पर है।