मप्र के 54 औद्योगिक क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर पिछले पांच साल में करीब 539 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन इस राशि से कहां, कितना और क्या काम हुआ, इसकी जानकारी सरकार को नहीं दी गई। यह राशि लघु उद्योग निगम (एलयूएन) को दी गई थी, जो उद्योग विभाग की नोडल एजेंसी है।
औद्योगिक क्षेत्रों में क्या काम हुआ, विभाग को इसका उपयोगिता प्रमाण-पत्र सरकार को देना होता है लेकिन, यहां न तो उद्योग विभाग ने उपयोगिता प्रमाण-पत्र मांगा और न ही लघु उद्योग निगम ने देने की जरूरत समझी।
नतीजा यह कि करोड़ों की राशि खर्च होने के बावजूद कई जिलों में जमीन तक खाली पड़ी है और आधारभूत सुविधाओं की भारी कमी है। छतरपुर, श्योपुर, टीकमगढ़, रायसेन, दतिया, बैतूल जिले ऐसे हैं, जहां औद्योगिक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए राशि तो जारी हुई, लेकिन काम नहीं हुआ, फिर भी बजट की मांग लगातार जारी रही।
बुनियादी सुविधाएं नहीं
यहां सिर्फ जमीन उपलब्ध कराई, इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम कुछ नहीं
देश के टाॅप टेन औद्योगिक क्षेत्रों में मप्र के सिर्फ पीथमपुर व मंडीदीप देश भर में रैंकिंग में टाप टेन में मप्र के दो ही औद्योगिक क्षेत्र जगह बना पाए हैं। आधारभूत संरचना के मामले में पीथमपुर नंबर वन और गुजरात का औद्योगिक क्षेत्र दूसरे नंबर पर रहा। इसी कड़ी में मंडीदीप 9वें नंबर पर आया।
जिलों से जानकारी जल्द मंगवाएंगे
जिला उद्योग केंद्रों के जरिये टेंडर जारी कर औद्योगिक विकास के काम करवाए जाते हैं। वहां से कभी जानकारी एलयूएन को भेज देते हैं तो कभी सीधे उद्योग विभाग को भेज दी जाती है। जिन जिलों से उपयोगिता प्रमाण-पत्र नहीं आए हैं, वहां से मंगवाए जाएंगे।
-दिलीप कुमार, एमडी, एलयूएन और कमिश्नर एमएसएमई