पाकिस्तान ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान पर एतराज जताया है। PAK विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि PM मोदी ने जिस तरह से हिंसा की बात की, वह एक न्यूक्लियर ताकत रखने वाले देश के नेता को शोभा नहीं देता।
दरअसल PM मोदी ने सोमवार को गुजरात में सभा के दौरान कहा था कि भारत पर आंख उठाने वाले को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि सुख-चैन से जियो, अपने हिस्से की रोटी खाओ, नहीं तो मेरी गोली तो है ही।
PAK का आरोप- कश्मीर से ध्यान भटकाना चाहती है भारत सरकार
पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत सरकार इस तरह के बयानों से जम्मू-कश्मीर में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों से ध्यान हटाना चाहती है।
उसने खुद को शांति का समर्थक बताते हुए कहा कि वह UN मिशन में सबसे आगे रहा है और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में उसने अहम भूमिका निभाई है।
पाकिस्तान ने कहा कि भारत को सच में उग्रवाद की चिंता है, तो उसे अपने देश में बढ़ते बहुसंख्यकवाद, धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अन्याय की तरफ ध्यान देना चाहिए।
PM शहबाज ने एक दिन पहले कहा- बातचीत के लिए तैयार
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सोमवार को कश्मीर और जल सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भारत के साथ बातचीत की इच्छा जताई। शरीफ ईरान दौरे पर हैं। यहां ईरानी राष्ट्रपति मसूद पजशकियान के साथ राजधानी तेहरान में जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने यह बात कही।
शरीफ ने भारत के साथ सैन्य संघर्ष के दौरान ईरान के समर्थन के लिए पजशकियान का आभार जताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते हैं।
पाकिस्तानी PM 25 मई से 30 मई तक तुर्किये, ईरान, अजरबैजान और ताजिकिस्तान देशों के दौरे पर हैं। यहां पर भारत के साथ हुए तनाव को लेकर पाकिस्तान के पक्ष रखेंगे।
शरीफ 29-30 मई को ताजिकिस्तान की राजधानी दुशान्बे में ग्लेशियर्स पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भी भाग लेंगे।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने रोका था सिंधु जल समझौता
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में 5 आतंकियों ने 26 टूरिस्ट्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके अगले दिन PM नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने 5 बड़े फैसले लिए थे।
इसमें 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि को रोका गया था। अटारी चेक पोस्ट बंद कर दिया गया था। वीजा बंद कर दिया गया और उच्चायुक्तों को हटा दिया था।
इसके बाद 7 मई को भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में मौजूद कई आतंकी ठिकानों को एयर स्ट्राइक करके तबाह कर दिया था। दोनों देशों में 4 दिन तक संघर्ष चला था, जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने 10 मई को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सीजफायर की जानकारी दी थी।
भारत-पाकिस्तान के बीच का सिंधु जल समझौता क्या है?
सिंधु नदी प्रणाली में कुल 6 नदियां हैं- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज। इनके किनारे का इलाका करीब 11.2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें 47% जमीन पाकिस्तान, 39% जमीन भारत, 8% जमीन चीन और 6% जमीन अफगानिस्तान में है। इन सभी देशों के करीब 30 करोड़ लोग इन इलाकों में रहते हैं।
1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के पहले से ही भारत के पंजाब और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच नदियों के पानी के बंटवारे का झगड़ा शुरू हो गया था। 1947 में भारत और पाक के इंजीनियरों के बीच 'स्टैंडस्टिल समझौता' हुआ। इसके तहत दो मुख्य नहरों से पाकिस्तान को पानी मिलता रहा। ये समझौता 31 मार्च 1948 तक चला।
1 अप्रैल 1948 को जब समझौता लागू नहीं रहा तो भारत ने दोनों नहरों का पानी रोक दिया। इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की 17 लाख एकड़ जमीन पर खेती बर्बाद हो गई। दोबारा हुए समझौते में भारत पानी देने को राजी हो गया।
इसके बाद 1951 से लेकर 1960 तक वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत पाकिस्तान में पानी के बंटवारे को लेकर बातचीत चली और आखिरकार 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के PM नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच दस्तखत हुए। इसे इंडस वाटर ट्रीटी या सिंधु जल संधि कहा जाता है।