फ्रांस में एक डॉक्टर को 299 बच्चों का यौन शोषण और रेप के मामले में दोषी ठहराया गया है। क्रिमिनल कोर्ट ने दोषी डॉक्टर को बुधवार को 20 साल की सजा सुनाई है। यह फ्रांस के इतिहास में बच्चों के यौन शोषण का सबसे बड़ा मामला है। इस केस की सुनवाई फरवरी 2025 से चल रही थी।
74 साल का दोषी डॉक्टर जोएल ले स्कॉरनेक पहले एक गैस्ट्रिक सर्जन था। उसने 1989 से 2014 तक फ्रांस के 9 क्लिनिक और हॉस्पिटल में काम करते हुए यौन शोषण की घटनाओं को अंजाम दिया। इस खबर के सामने आने के बाद 2 पीड़ितों ने तनाव में आत्महत्या कर ली।
जिस वक्त इन घटनाओं को अंजाम दिया गया कई पीड़ित बेहोश थे या दवा के असर में ऑपरेशन से उबर रहे थे। इसलिए उन्हें कुछ याद नहीं था। आरोपी ने सबसे पहले 1985 में अपनी 5 साल की भतीजी का यौन शोषण किया था।
आरोपी डॉक्टर अपनी दो भतीजी समेत 4 बच्चों के साथ बलात्कार के मामले में पहले से 15 साल की सजा काट रहा है। उसे इस केस में 2020 में सजा सुनाई गई थी।
बच्ची के सामने अश्लील हरकत की तब मामला खुला
इस पूरे मामले का खुलासा 2017 में तब हुआ जब पुलिस ने ले स्कॉरनेक के घर की तलाशी ली। उस पर पड़ोस में रहने वाली 6 साल की बच्ची के सामने अश्लील हरकत की थी। बच्ची के माता-पिता ने इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई थी।
पुलिस को उसके घर में सेक्स टॉयज और गुड़ियों से भरे बक्से, कंप्यूटर और दो दर्जन से ज्यादा हार्ड ड्राइव मिली, जिनमें बच्चों के यौन शोषण की तस्वीरें थीं।
इसके साथ ही, सैकड़ों पन्नों की उसकी डायरी भी मिली। इसमें उसने बच्चों के साथ किए गए यौन शोषण का ब्योरा लिखा था। दो स्प्रेड शीट में पीड़ितों के नाम, उम्र, पते और उनके साथ हुए शोषण की जानकारी थी।
30 साल तक बच्चों का यौन शोषण करता रहा
मुकदमे की शुरुआत में ले स्कॉरनेक ने आरोपों से इनकार किया था। उसका कहना था उसकी डायरी में लिखी ज्यादातर बातें काल्पनिक हैं और कुछ उसके काम से जुड़ी हुई हैं।
लेकिन मुकदमे के एक महीने बाद, उसने अदालत को चौंकाते हुए कबूल किया कि उसकी अपनी डायरी में लिखी हर बात सच है।
स्कॉरनेक ने कहा कि उसका मकसद सिर्फ बच्चों के साथ बार-बार यौन अपराध करना था। उसे इसका पछतावा नहीं है। तीन महीने तक चले मुकदमे में वह हर दिन अदालत में चुपचाप खड़े होकर कमरे को घूरते रहा।
स्कॉरनेक ने मार्च में कोर्ट के अंदर 1989 से 2014 के बीच 111 बलात्कार और 188 यौन शोषण करने की बात स्वीकार की थी। जिन बच्चों का शोषण किया गया उनमें से 256 अपराध के समय 15 साल से भी कम उम्र के थे। पीड़ितों में 158 लड़के और 141 लड़कियां थीं। अपराध के समय इनकी औसत उम्र 11 साल थी।
कई पीड़ित डिप्रेशन से जूझ रहे
इस पूरे मामले में एक नया मोड़ तब आया जब कई पीड़ितों को पता चला की उनका शोषण किया गया था। इस खुलासे के बाद कुछ डिप्रेशन में चले गए और काम छोड़ दिया। दो लोगों ने तो तनाव में आत्महत्या कर ली।
ज्यादातर पीड़ितों को जब पुलिस स्टेशन बुलाया गया तो उनमें से कई सदमे, गुस्से, चिंता और अलगाव की फीलिंग से जूझ रहे थे।
एक पीड़ित की मां ने कहा- लोगों को समझना चाहिए कि पुलिस पीड़ितों तक पहुंची, न कि पीड़ितों ने पुलिस से संपर्क किया। यह दोहरा झटका है।