पाकिस्तान ने पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम देने वाले संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) का नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के बयान से हटाने के लिए दबाव बनाया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने बुधवार को सीनेट में दिए गए एक बयान में यह कबूल किया है।
पाकिस्तान इस समय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है। सुरक्षा परिषद के निंदा बयान के लिए सभी सदस्यों की सहमति जरूरी है।
अमेरिका ने हमले की निंदा का प्रस्ताव रखा
इशाक डार ने बताया कि अमेरिका ने हमले की निंदा करने के लिए एक प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा कि जब मुझे प्रस्ताव की कॉपी मिली तो उस पर केवल पहलगाम लिखा था और हमले के लिए द रेजिस्टेंस फोरम (TRF) का नाम लिया गया था।
डार ने आगे कहा कि हमने इस पर विरोध जताया और कहा कि पाकिस्तान तब तक इस पर हस्ताक्षर नहीं करेगा जब तक पहलगाम के साथ जम्मू और कश्मीर का भी जिक्र नहीं किया जाता और TRF का नाम हटाया नहीं जाता। डार ने कहा कि उन्होंने 2 दिन तक इस प्रस्ताव पर साइन नहीं किया। इस दौरान कई देशों से उन्हें फोन आते रहे।
UNSC ने TRF के नाम के बिना प्रस्ताव जारी किया
इशाक डार ने कहा कि उन्हें दुनियाभर के नेता यह कहते रहे कि निंदा प्रस्ताव न आने से पाकिस्तान के ऊपर आरोप आएगा। इसके बावजूद वे अपने दावे पर अड़े रहे। आखिरकार पाकिस्तान के दबाव में प्रस्ताव में बदलाव किया गया और फिर UNSC ने 25 अप्रैल को बयान जारी किया।
यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) ने 25 अप्रैल, 2025 को पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की थी। इसमें 26 लोग मारे गए थे। इसमें भारत और नेपाल के लिए संवेदना जताई गई थी। UNSC ने कहा कि आतंकवाद हर रूप में अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए बड़ा खतरा है और हमले के दोषियों व उनके समर्थकों को सजा मिलनी चाहिए।
हालांकि इस बयान में द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), जिसने हमले की जिम्मेदारी ली थी उसका जिक्र नहीं किया गया था। पहलगाम हमले का मकसद गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर सांप्रदायिक तनाव भड़काना था, लेकिन बयान में इसका भी जिक्र नहीं था।
जिम्मेदारी लेने के 4 दिन बाद मुकरा TRF
22 अप्रैल को पहलगाम हमला हुआ था। इस हमले के कुछ ही देर बाद TRF ने इसकी जिम्मेदारी ली थी और बयान जारी कर कहा था कि भारत सरकार कश्मीर में मुस्लिमों को बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक बना रही है।
हालांकि 26 अप्रैल को TRF इससे मुकर गया था। संगठन के प्रवक्ता अहमद खालिद ने कहा था कि पहलगाम हमले के लिए TRF को जिम्मेदार ठहराना गलत है। खालिद ने कहा कि उनकी वेबसाइट को हैक कर लिया गया था।
आर्टिकल 370 हटने के बाद अस्तित्व में आया TRF
ये संगठन 2019 में अस्तित्व में आया। सरकार का मानना है कि ये लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी आतंकी संगठन है। ये आतंकी संगठन जवानों और आम नागरिकों की हत्या के अलावा सीमा पार से ड्रग्स और हथियार की तस्करी में शामिल रहा है।
जम्मू-कश्मीर के आतंकी संगठनों में ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) नया नाम है। 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने के बाद इसकी एक्टिविटी बढ़ी है। सुरक्षा मामलों के जानकार बताते हैं कि सीमा पार से ISI हैंडलर्स ने ही लश्कर-ए-तैयबा की मदद से TRF को खड़ा किया।
पूर्व DGP एसपी वैद के मुताबिक, TRF में कुछ नया नहीं है, बस जैश और लश्कर के कैडर्स को ही नया नाम दिया गया है। ISI की रणनीति के तहत ये नाम बदलते रहते हैं। 1990 में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट बनने के बाद पहली बार किसी आतंकी संगठन को गैर इस्लामिक नाम दिया गया है।