काले सोने के आयात पर लगा अंकुश तो भारत को हो गई बचत, जानिए कैसे
Updated on
14-05-2025 02:40 PM
नई दिल्ली: सोना तो सोना है। कोयला को भी औद्योगिक जगत में 'काला सोना' कहा जाता है। यूं तो भारत में कोयले की कमी नहीं है, लेकिन यदि क्वालिटी वाले या बढ़िया कोयले की बात करें तो, उसकी भारी कमी है। इसलिए स्टील इंडस्ट्री को ही नहीं बल्कि पावर प्लांट को भी भारी मात्रा में कोयला विदेशों से मंगाना पड़ता है। इसमें हर साल अरबों डॉलर खर्च हो रहे हैं। लेकिन बीते साल कोयला के अंधाधुंध आयात पर अंकुश लगा तो 11 महीने में ही करीब $6.93 billion के विदेशी मुद्रा की बचत हो गई।
कोयले के आयात में भारी कमी
केंद्रीय कोयला मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच भारत में कोयले के आयात में भारी कमी हुई है। इस दौरान कोयले के आयात में 9.2 फीसदी की गिरावट आई है। बीते साल 11 महीने के दौरान 220.3 मिलियन टन (MT) कोयले का आयात हुआ। जबकि एक साल पहले इसी अवधि के दौरान यह आंकड़ा 242.6 MT था।
अरबों डॉलर की हुई बचत
कोयला मंत्रालय ने बताया कि कोयले के आयात में आई इस कमी से देश को लगभग 6.93 बिलियन डॉलर (लगभग 53,137.82 करोड़ रुपये) की बचत हुई है। यह ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मंत्रालय का कहना है कि सबसे ज्यादा कमी गैर-विनियमित क्षेत्र (Non-Regulated Sector) में आई है। इस क्षेत्र में कोयला आयात 15.3 प्रतिशत कम हुआ है।
बिजली का उत्पादन बढ़ा
बीते साल एक अच्छी बात यह भी रही कि कोयला आधारित बिजली उत्पादन 2.87 प्रतिशत बढ़ा है। लेकिन थर्मल पावर प्लांट द्वारा कोयले ब्लेंडिंग के लिए आयात लगभग 39 फीसदी गिर गया है। इससे पता चलता है कि भारत आयातित कोयले पर अपनी निर्भरता कम करने की पूरी कोशिश कर रहा है।
कोयले का बढ़ा उत्पादन
भारत सरकार ने घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने और आयात कम करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें कमर्शियल कोल माइनिंग (Commercial Coal Mining) और मिशन कोकिंग कोल (Mission Coking Coal) जैसी योजनाएं शामिल हैं। इन प्रयासों से कोयला उत्पादन में भी अच्छी वृद्धि हुई है। अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच कोयला उत्पादन 5.45 प्रतिशत बढ़ा है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि से तुलना करें तो यह एक उत्साहजनक आंकड़ा है। उल्लेखनीय है कि भारत का कोयला क्षेत्र तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को सहारा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोयला, बिजली, स्टील और सीमेंट जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है।
बढ़िया कोयले की है कमी
हालांकि, देश को अपनी घरेलू कोयला मांग को पूरा करने में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है। खासकर कोकिंग कोल और उच्च श्रेणी के थर्मल कोल की देश में कमी है। इसलिए, स्टील जैसे प्रमुख क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयला आयात बहुत जरूरी है। कोयला मंत्रालय घरेलू उत्पादन को मजबूत करने और कोयले की आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए कई रणनीतिक उपाय कर रहा है। यह भारत के कोयला आयात को कम करने और ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के लक्ष्यों के अनुरूप है।
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