मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि सरकार का संकल्प है कि राज्य के हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण और समग्र शिक्षा मिले, चाहे वह किसी भी कोने में क्यों न रहता हो। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना राज्य का सर्वोच्च प्राथमिकता वाला कार्य है।
इसके अंतर्गत राज्य के शासकीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बहुआयामी रणनीतियां लागू की जाएंगी। पालक-शिक्षक सहभागिता भी इस अभियान का महत्वपूर्ण पहलू है। पीटीएम को एक औपचारिकता नहीं, बल्कि संवाद और सहभागिता का माध्यम बनाया जाएगा।
छात्रों की उपलब्धियां, शिक्षक उपस्थिति से ग्रेडिंग
स्कूलों का सामाजिक अंकेक्षण मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान की प्रमुख विशेषता है। इसके अंतर्गत हर स्कूल की शैक्षणिक गुणवत्ता, शिक्षण प्रक्रिया, छात्रों की उपलब्धियां, आधारभूत सुविधाएं और शिक्षक उपस्थिति जैसे संकेतकों के आधार पर ग्रेडिंग की जाएगी।
जो विद्यालय अपेक्षित गुणवत्ता तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, उनकी नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी। यह न केवल शिक्षा विभाग द्वारा, बल्कि अन्य विभागों के अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सहभागिता से किया जाएगा। इसमें कमजोर विद्यालयों के साथ ही मॉडल स्कूलों का चयन किया जाएगा।
दिव्यांगों की परिभाषा बदलने की तैयारी ‘प्लग एंड प्ले’ फैक्ट्रियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ निजी औद्योगिक पार्कों को इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए सरकार की ओर से प्रोत्साहन मिलेगा। राज्य अब ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर, डिफेंस और एयरोस्पेस इंडस्ट्री में भी निवेश आकर्षित करने हेतु विशेष प्रोत्साहन पैकेज प्रदान करेगा। दिव्यांगजनों की परिभाषा में बदलाव कर उन्हें अधिक से अधिक योजनाओं में शामिल किया जाएगा।
प्रदेश के 162 कलाकारों - साहित्यकारों काे मिलेगा पेंशन बढ़ने का लाभ इसी तरह कठिनाइयों से जूझ रहे प्रदेश के कलाकारों और साहित्यकारों का पेंशन बढ़ाया गया है। अब इन्हें 2000 रुपये की जगह 5000 रुपये प्रतिमाह पेंशन दिया जाएगा। यह पेंशन संस्कृति विभाग द्वारा प्रदान की जाती है। इस योजना की शुरुआत 1986 में हुई थी, जब सहायता राशि न्यूनतम 150 रुपये और अधिकतम 600 रुपये थी।
बाद में 2007 में इसे 1500 रुपये और 2012 में 2000 रुपये किया गया, लेकिन 12 वर्षों से इसमें कोई वृद्धि नहीं हुई थी। इससे वर्तमान में कुल 162 कलाकारों और साहित्यकारों को लाभ मिलेगा। अब उन्हें सालाना 24 हजार की जगह 60 हजार रुपये मिलेंगे। इससे राज्य पर कुल 58.32 लाख रुपये का वार्षिक अतिरिक्त भार आएगा। पहले जहां कुल वार्षिक व्यय 38.88 लाख रुपये था, वह अब बढ़कर 97.20 लाख रुपए हो जाएगा।