प्रदेश में एक साल में सर्पदंश से ढाई हजार लोगों की मौत हुई है। इसके बाद राज्य सरकार ने इसे हर जिले में स्थानीय आपदा घोषित किया है। साथ ही हर जिले मेंं सर्प मित्र और स्नेक कैचर की तैनाती करने को कहा है। राज्य आपदा प्रबंधन ने इसको लेकर एडवाइजरी जारी की है और सभी कलेक्टरों से इस पर अमल कराने को कहा है, ताकि सर्पदंश की घटनाओं में नियंत्रण किया जा सके। राज्य सरकार ने इसके लिए हर जिले को 23.17 लाख रुपए आवंटित किए हैं।
गृह विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि मध्य प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सर्पदंश के मामलों को गंभीरता से लेते हुए इसे स्थानीय आपदा घोषित किया है। पिछले वर्ष सर्प-दंश से 2,500 से अधिक मौत हुई थी जिससे व्यापक जनहानि हुई थी। बारिश के मौसम में बढ़ने वाली इन घटनाओं की रोकथाम के लिए एक बहुआयामी रणनीति तैयार की है, जिसमें जन जागरुकता, आपातकालीन सेवाओं का सुदृढ़ीकरण और निवारण संबंधी उपाय शामिल किए गए हैं। हर जिले में प्रशिक्षित 'सर्प मित्र' और 'स्नेक-कैचर' की तैनाती की जाएगी, जिनके हेल्पलाइन नंबर जनता को उपलब्ध कराए जाएंगे।
प्रशिक्षण पर विशेष जोर
इस अभियान में ग्राम पंचायत और शहरी वार्ड स्तर पर स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। सोशल मीडिया, रेडियो, होर्डिंग्स और प्रिंट मीडिया के जरिए सर्पदंश से बचाव और प्राथमिक उपचार की जानकारी प्रसारित की जाएगी। स्कूलों और कॉलेजों में विशेष सत्र आयोजित कर विद्यार्थियों को इस खतरे और उससे बचाव के उपायों के बारे में शिक्षित किया जाएगा।
आपातकालीन सेवाओं को मजबूत बनाने की पहल
हर जिले में प्रशिक्षित 'सर्प मित्र' और 'स्नेक-कैचर' की तैनाती की जाएगी, जिनके हेल्पलाइन नंबर जनता को उपलब्ध कराए जाएंगे। सभी सरकारी अस्पतालों में एंटी-वेनम (विष नाशक दवा) का पर्याप्त भंडारण किया जाएगा। पीड़ितों को निकटतम चिकित्सा केन्द्र तक पहुंचाने की व्यवस्था को और सुचारू बनाया जाएगा, ताकि आपात स्थिति में त्वरित सहायता मिल सके।
उपायों पर सामुदायिक भागीदारी
बजट आवंटन और जनता से अपील