बैंकों ने गलत तरीके से बीमा बेचा तो खैर नहीं, रिजर्व बैंक ने दिखाई सख्ती, लिया जा सकता है कड़ा एक्शन
Updated on
11-06-2025 02:02 PM
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर बैंकों द्वारा बीमा जैसे वित्तीय उत्पादों की गलत बिक्री (मिस सेलिंग) पर चिंता जताई है और इस समस्या से निपटने के लिए दिशा-निर्देश बनाने पर विचार कर रहा है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने सोमवार को कहा, मिस सेलिंग से कम आय वाले परिवारों का योजनाओं पर भरोसा कम हो सकता है, खासकर जब उनके लिए सही और जरूरी उत्पादों को नजरअंदाज किया जाए। उन्होंने कहा कि RBI इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या वित्तीय उत्पादों और सेवाओं की गलत बिक्री को रोकने के लिए नियम बनाना जरूरी है।
RBI ने इससे पहले भी बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा वित्तीय उत्पादों की बढ़ती गलत बिक्री पर कई बार चिंता जाहिर की है। खास तौर पर वरिष्ठ नागरिकों और कम वित्तीय जानकारी रखने वाले लोगों को जटिल या गैर जरूरी निवेश उत्पाद बेचने पर आरबीआई चिंतित है, जिन्हें आम तौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट या बीमा के नाम पर बेचा जाता है।
माइक्रो फाइनेंस क्षेत्र को चेताया
राव ने मुंबई में वित्तीय समावेशन पर एक कार्यक्रम में कहा कि माइक्रो फाइनेंस क्षेत्र में अत्यधिक कर्ज, उच्च ब्याज दरें और सख्त वसूली प्रथाएं जैसी कई चुनौतियां हैं। हाल के महीनों में माइक्रो फाइनेंस कर्ज पर ब्याज दरों में कुछ कमी आई है, लेकिन कुछ जगहों पर ऊंची ब्याज दरें और अधिक मुनाफा लेने की प्रवृत्ति बनी हुई है। कुछ माइक्रो फाइनेंस कर्जदाता बहुत अधिक ब्याज वसूल रहे हैं, जबकि उनके पास सस्ते फंड के भी ऑप्शन हैं। यह अनुचित है।
20% से 28% सालाना ब्याज वसूली पर चिंता
राव ने कर्ज देने वाले बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से अपील की कि वे माइक्रो फाइनेंस को सिर्फ उच्च लाभ का कारोबार न समझें, बल्कि इसे संवेदनशील और विकासवादी नजरिए से देखें। उन्होंने कहा कि माइक्रो फाइनेंस संस्थान आमतौर पर पारंपरिक बैंकों की तुलना में अधिक ब्याज दर (20% से 28% सालाना) वसूलते हैं, जो चिंता का विषय है। वहीं, वित्तीय संस्थाओं का कहना है कि दूरदराज के इलाकों में खर्च और जोखिम के कारण ये दरें ऊंची हैं।
कर्ज वसूली में गलत तरीके न अपनाने पर जोर
राव ने कहा कि हाल के दिनों में माइक्रो फाइनेंस क्षेत्र में अधिक ब्याज दर और सख्त वसूली के कारण कई बार दुखद घटनाएं हुई हैं। उन्होंने सभी हितधारकों से अपील की कि ऐसी समस्याओं को पहले से रोका जाए। उन्होंने कर्ज देने वालों से कहा कि वसूली में अनैतिक तरीके न अपनाएं और वित्तीय सेवाएं जिम्मेदारी और टिकाऊ तरीके से दें। राव ने कहा कि माइक्रो फाइनेंस का मॉडल मजबूत हो सकता है, लेकिन इसके ढांचे और प्रोत्साहन योजनाओं में खामियां होने से ग्राहकों को नुकसान हो सकता है। उन्होंने मॉडल पर पुनर्विचार करने की जरूरत बताई।
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