बीजापुर। बीजापुर जिले में शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी दर्ज की गई है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत 78 ऐसे स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जहां अब तक कोई शिक्षक पदस्थ नहीं था। अब जिले में कोई भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं है। यह कदम उन ग्रामीण और दूरदराज के बच्चों के लिए खास मायने रखता है जो लंबे समय से शिक्षा से वंचित थे।
198 अतिशेष शिक्षकों में से 189 को दी गई नई पदस्थापना
जिला शिक्षा कार्यालय के मुताबिक, जिले में 198 शिक्षक अतिशेष पाए गए थे। इनमें से 189 को काउंसलिंग के माध्यम से शिक्षकविहीन, एकल शिक्षकीय और अन्य जरूरतमंद स्कूलों में भेजा गया है। इनमें शामिल हैं:
82 शिक्षक – शिक्षकविहीन स्कूलों में
44 शिक्षक – एकल शिक्षकीय स्कूलों में
63 शिक्षक – सामान्य स्कूलों में
2 हाईस्कूलों में पहली बार विषय विशेषज्ञ व्याख्याता नियुक्त
जिन हाईस्कूलों में अब तक सभी व्याख्याता पद रिक्त थे, वहां हिंदी और सामाजिक अध्ययन विषयों के व्याख्याताओं की नियुक्ति की गई है। यह विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा के लिए बेहतर तैयारी का अवसर देगा।
76 स्कूलों को दो दशकों बाद फिर मिला शिक्षक
करीब दो दशक से बंद या बिना शिक्षक चल रहे स्कूलों — गुन्डापूर, मुदवेंडी, हिरमगुंडा, बोटेतोंग, गुन्जेपरती, जीड़पल्ली, मुरकीपाड़ जैसे संवेदनशील और दूरदराज़ के इलाकों में अब फिर से शिक्षक पदस्थ किए गए हैं। इससे इन क्षेत्रों में शिक्षा का नया सवेरा शुरू होगा।
65 स्कूलों का समायोजन, सिर्फ 9 स्कूल बंद
युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत जिले में 65 स्कूलों का समायोजन किया गया। इनमें से 56 स्कूल पहले की तरह ही संचालित रहेंगे जबकि नाममात्र नामांकन वाले केवल 9 स्कूलों को बंद किया गया है।
अब भी 565 पद रिक्त, लेकिन बड़ी राहत
इस प्रक्रिया से शिक्षक नियुक्तियों में बड़ी राहत मिली है, हालांकि जिले में अब भी 565 पद रिक्त हैं जिनमें सहायक शिक्षक के 336, प्रधान शिक्षक प्राथमिक के 76, शिक्षक के 15 और व्याख्याता के 138 पद शामिल हैं।
शिक्षक नियुक्तियों की यह पहल बीजापुर जिले के लिए मील का पत्थर साबित होगी। लंबे समय से शिक्षा से वंचित बच्चों को अब पढ़ने का अवसर मिलेगा और दूरस्थ क्षेत्रों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विस्तार होगा।