इस साल पीएम आवास, किसान सम्मान निधि, स्वच्छ भारत, ग्रामीण कौशल, पेंशन योजना और राष्ट्रीय शिक्षा योजना के संचालन में फंड की कमी नहीं आएगी। जिन योजनाओं में 60% हिस्सेदारी केंद्र की है और 40% हिस्सा राज्य सरकार मिलाती है, ऐसी योजनाओं के संचालन में खर्च करने के लिए नगरीय प्रशासन, पंचायत एवं ग्रामीण और कृषि जैसे बड़े विभागों के खर्चों पर वित्त विभाग कैंची नहीं चलाएगा। इस बार केंद्रीय सहायता के मप्र को 48 हजार करोड़ रुपए मिलने हैं।
दरअसल, हाल ही में वित्त विभाग ने जनता के कल्याण की योजनाओं में खर्च को लेकर स्थिति स्पष्ट की है। जिन योजनाओं में 60% राशि केंद्र से मिलती है, उसे खर्च करने के लिए विभागों को वित्त की इजाजत नहीं लेनी होगी। सिर्फ जिनमें 60% खर्च राज्य का है और 40% केंद्र का, उनमें खर्च वित्त विभाग की परमिशन के बिना नहीं किया जाएगा। यह स्थिति 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के खर्च में रहेगी।
प्रदेश में केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में जन कल्याण योजनाओं में प्रमुख रूप से प्रधानमंत्री आवास योजना, किसान सम्मान निधि, स्वच्छ भारत, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, कौशल विकास मिशन, उज्ज्वला योजना, जन धन योजना, अटल पेंशन योजना, राष्ट्रीय शिक्षा मिशन, आयुष्मान भारत योजना, किसान ऊर्जा सुरक्षा और आजीविका जैसी योजनाएं संचालित की जाती हैं।
प्रधानमंत्री योजना के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गरीबों को किफायती आवास प्रदान किए जाते हैं। इसी तरह किसान सम्मान निधि में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
पिछले साल आई थी अनुदान में कमी -पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2024-25 में राज्य सरकार को केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में 1914 करोड़ रुपए कम मिले थे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आवासों के निर्माण में कमी आई थी। इस साल राज्य सरकार को केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी के 1,11,662 करोड़ रुपए और सहायक अनुदान के 48,661 करोड़ रुपए मिलना है। इस तरह राज्य सरकार को केंद्र से 1 लाख 60 हजार 323 करोड़ रुपए मिलेंगे।
इन योजनाओं में खर्च राज्य सरकार का
राज्य सरकार अपनी योजनाएं संचालित करती है, जिनमें लाड़ली लक्ष्मी और मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना शामिल हैं, जिन पर सरकार का हर साल का खर्चा 18 हजार करोड़ रुपए है। इसी तरह मुख्यमंत्री कल्याणी पेंशन योजना भी है।