भोपाल के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में रविवार को कार्यशाला की शुरुआत की गई। यहां करीब 1200 साल पुराने नाट्य सिद्धांतों पर मंथन होगा। यह 21 जून साल 2025 तक चलेगी।
इस वर्कशॉप में पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों से आए करीब 70 रंगकर्मी (नाट्य कलाकार) हिस्सा ले रहे हैं। ये सभी शारदा तनय नाम के महान नाट्याचार्य के ग्रंथ भाव प्रकाशन पर चर्चा करेंगे।
क्यों खास है भाव प्रकाशन ग्रंथ यह ग्रंथ भरतमुनि के मशहूर नाट्यशास्त्र की परंपरा में आता है और इसका नाट्य कला में बहुत महत्व है। शारदा तनय ने इसमें नाटक में भावनाओं और रसों को कैसे दिखाया जाए, इस पर खास बातें बताई हैं।
उन्होंने एक्टर और दर्शक, दोनों को ध्यान में रखकर अपनी बातें समझाई हैं, जिन्हें देश-विदेश में काफी पसंद किया जाता है। शारदा तनय ने अपने से पहले के गुरुओं से बहुत कुछ सीखा और महाराज भोज के शृंगार प्रकाश से प्रभावित होकर अपने ग्रंथ का नाम भाव प्रकाशन रखा।
देशभर से आए विद्वान देंगे ट्रेनिंग केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. रमाकांत पांडेय ने बताया कि इस 21 दिन की कार्यशाला में 70 प्रतिभागी हैं। जिन्हें देश के बड़े विद्वान ट्रेनिंग देंगे। इनमें प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी (वाराणसी), प्रो. शिवराम शर्मा (वाराणसी), प्रो. बालकृष्ण शर्मा (उज्जैन), प्रो. मार्गी मधु (केरल), प्रो. इंदु (केरल) और प्रो. रामकुमार शर्मा (जयपुर) जैसे नाम शामिल हैं।
प्रो. पांडेय ने कहा कि कश्मीर से मिली ज्ञान की इस विरासत को आज के समय में फैलाना और उस पर रिसर्च करना बहुत जरूरी है। इस वर्कशॉप में ये विद्वान अपने अनुभव और नए तरीकों से समाज के बीच नाट्य कला को और प्रभावी बनाने के सूत्रों को उजागर करेंगे। जिससे प्रतिभागी छात्र इन्हें पूरे देश में फैला सकें।